वैसे चाय का इतिहास पाँच हजार वर्ष पुराना है। कहा जाता है कि चाय की शुरुआत चीन से हुई थी। चीन का सम्राट शैन नुंग एक बार गर्म पानी का प्याला पीते हुए अपने बगीचे में घूम रहा था कि अचानक तेज़ हवा से एक जंगली झाड़ी के कुछ पत्ते आकर उसके पानी में गिर गये। गर्म पानी में गिरते ही उसमें से एक अलग सी महक आने लगी और पानी का रंग भी बदल गया। शेन ने रोंमांचित हो एक घूँट भरी और खुशी से चिल्ला उठा, और तभी से चाय का जन्म हुआ।
कुछ प्रमाणिक तथ्यों से ये उजागर होता है कि सबसे पहले सन् 1610 में कुछ डच व्यापारी चीन से चाय यूरोप ले गए और धीरे-धीरे ये समूची दुनिया का प्रिय पेय बन गया। भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने 1834 में एक समिति का गठन किया जिसमे चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की बात रखी गई। इसके बाद 1835 में असम में चाय के बाग़ लगाए गए।
असम हमारे देश में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य माना जाता है। इसके अतिरिक्त दार्जिलिंग, हिमालय की तराई, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु में भी चाय की पैदावार होती है। आसाम,गुवाहाटी आदि कई क्षेत्रों में हर साल नवम्बर के महिने में चाय उत्सव मनाया जाता है।
विश्व के अन्य देशों में जापान, श्रीलंका,केनिया,जावा, सुमात्रा, चीन, अफ्रीका, ताईवान, इण्डोनेशिया इत्यादि भी चाय का उत्पादन करते हैं ।जापान में भी हर साल कुछ संगठनों द्वारा चाय समारोह मनाया जाता हैं। भारत में सन 1953 में टी बोर्ड की स्थापना की गई। जिसने भारत में ही नही अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार में भी चाय के उत्पादन को फ़ैलाया। टी बोर्ड ने लोगों को चाय की गुणवत्ता बताते हुए चाय के प्रति जागरुक किया। |